Chandrayaan-3: आसान नहीं है धरती से चांद तक का ये सफर, राह में चंद्रयान-3 के सामने होंगी ये चुनौतियां
चंद्रयान को धरती से चांद तक का ये सफर पूरा करने में करीब 45 से 50 दिन का समय लगेगा. इसरो के मुताबिक अगर सब कुछ सही रहता है तो चंद्रयान 23 या 24 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा. लेकिन सुनने में ये सब जितना आसान लग रहा है, वास्तव में उतना आसान है नहीं.
Chandrayaan- 3 मिशन की लॉन्चिंग का दिन आ गया है. आज 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से दोपहर 02:35 बजे चंद्रयान-3 को लॉन्च किया जाएगा. टिक-टिक करके घड़ी की सुई लगातार आगे बढ़ रही है और उसी के साथ करोड़ों हिंदुस्तानियों की धड़कनें भी बढ़ती जा रही हैं. Chandrayaan- 3 से लोगों को बहुत उम्मीदें हैं. अगर ये मिशन सफल हो जाता है तो भारत अंतरिक्ष की चौथी महाशक्ति बन जाएगा. हर भारतवासी इस गौरवपूर्ण क्षण का साक्षी बनना चाहता है.
चंद्रयान को धरती से चांद तक का ये सफर पूरा करने में करीब 45 से 50 दिन का समय लगेगा. इसरो के मुताबिक अगर सब कुछ सही रहता है तो चंद्रयान 23 या 24 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा. लेकिन सुनने में ये सब जितना आसान लग रहा है, वास्तव में उतना आसान है नहीं. चंद्रयान को इस सफर में कई तरह की चुनौतियों को पार करना होगा.
3,84,400 किलोमीटर की दूरी
धरती से चांद तक पहुंचने के लिए चंद्रयान को 3,84,400 किलोमीटर की दूरी को तय करना होगा. इतनी दूरी को सफलतापूर्वक तय करना भी आसान बात नहीं है. रास्ते में जरा सी चूक या तकनीकी गड़बड़ी पूरी मेहनत पर पानी फेर सकती है. हालांकि यान को इस तरह की चुनौतियों को पार करने के हिसाब से ही तैयार किया जाता है और लॉन्चिंग से पहले इन सब स्थितियों के हिसाब से रिहर्सल भी की जाती है, लेकिन फिर भी जब तक मिशन सफल नहीं हो जाता, तब तक कुछ नहीं कहा जा सकता. चंद्रयान-2 के दौरान यही हुआ था. विक्रम लैंडर में तकनीकी गड़बड़ी के बाद इसका इसरो से संपर्क टूट गया था और लैंडर चांद की सतह पर क्रैश हो गया था.
स्पीड कंट्रोल कर पाना आसान नहीं
TRENDING NOW
TATA Group के इस स्टॉक से गिरते बाजार में भी होगी तगड़ी कमाई! शॉर्ट टर्म में खरीदारी का नोट करें टारगेट
भारी गिरावट में बेच दें ये 2 शेयर और 4 शेयर कर लें पोर्टफोलियो में शामिल! एक्सपर्ट ने बताई कमाई की स्ट्रैटेजी
मजबूती तो छोड़ो ये कार किसी लिहाज से भी नहीं है Safe! बड़ों से लेकर बच्चे तक नहीं है सुरक्षित, मिली 0 रेटिंग
मल्टीबैगर Railway PSU के लिए खुशखबरी! बाजार बंद होने के बाद मिला ₹837 करोड़ का ऑर्डर, स्टॉक पर रखें नजर
चंद्रयान जब चंद्रमा की निचली कक्षा में दाखिल हो जाएगा, तब चांद की सतह पर लैंडर को उतारने की तैयारी होगी. यही इस मिशन का सबसे मुश्किल हिस्सा है. भारत चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग की तैयारी में है. सॉफ्ट लैंडिंग के दौरान अंतरिक्ष यान की गति को धीरे-धीरे कम करके सतह पर उतारा जाता है. धरती से चांद तक पहुंचने के लिए रॉकेट फुल स्पीड में आगे बढ़ता है, ऐसे में चांद के करीब पहुंचने पर उसकी स्पीड को कंट्रोल कर पाना भी एक बड़ी चुनौती होता है. यही वजह है कि अब तक चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने में सिर्फ तीन देशों अमेरिका, रूस और चीन को ही कामयाबी मिली है.
कैलकुलेशन सटीक होना जरूरी
धरती से चांद तक के सफर में जीपीएस काम नहीं आता. वैज्ञानिकों के पास जो कंप्यूटर होते हैं, उन्हीं की मदद से कैलकुलेशन करना होता है. जब चांद पर लैंडिंग का समय आता है तो कैलकुलेशन और भी बारीकी से करनी होती है. ऐसे में जरा सी गलती मिशन को फेल कर सकती है और सटीक कैलकुलेशन इतिहास रच सकती है.
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें
07:00 AM IST